Saturday, April 17, 2010

कैसे खुद आज़ाद रहूँ!!



कैसे खुद आज़ाद रहूँ!!


राज़ हैं कई दिल में छिपे, कैसे इनको मैं राज़ रखूं,
तोड़ दिए तेरे बंधन मैंने, पर कैसे खुद आज़ाद रहूँ!

यादों ने तेरी बाँधा मुझको, बाँधा तेरी मोहब्बत ने,
तब बाँधा था बातों ने तेरी, अब बाँधा ख़ामोशी ने!!
कोशिश मेरी रही हमेशा, तुझको मैं आज़ाद रखूं,
तोड़ दिए तेरे बंधन मैंने, पर कैसे खुद आज़ाद रहूँ!!

लाखों चेहरे देखे मैंने, चेहरे पी चेहरा देखा,
तुने डाले लाखों चेहरे, सबपे एक पेहरा देखा!!
डरता तेरे चेहरों से मैं, कब तक यूँ बर्बाद रहूँ,
तोड़ दिए तेरे बंधन मैंने, पर कैसे खुद आज़ाद रहूँ!!

तेरा मन है सोने जैसा, देखा मैं व विश्वास करूँ,
लाखों चेहरों पे तेरे फिर, क्यूँ ही मैं ऐतबार करूँ!!
मेरा प्यार है सागर जैसे, कैसे मैं इज़हार करूँ,
तोड़ दिए तेरे बंधन मैंने, अब कैसे खुद आज़ाद रहूँ!!

तेरा बंधन प्यारा लगता, फिर क्यों न तेरे साथ रहूँ,
तेरी दुविधा पे कैसे फिर, मैं तुझसे नाराज़ रहूँ!!
राहों ने झकझोरा मुझको, कैसे मैं शुक्र गुज़ार करूँ,
तोड़ दिए तेरे बंधन मैंने, पर कैसे खुद आज़ाद रहूँ!!