Saturday, February 20, 2010

बेपनाह प्यार

बेपनाह प्यार को मेरे, साथी
कभी तुमने ज्यादा न समझा,
जज्बातों का समंदर मेरा, साथी
कभी तुमने छलकते न देखा...


तारों को खो जाने जा डर, आभ
कभी चाँद ने न समझा,
शाकों से पत्तों का गिरने का दर्द, वृक्ष
कभी मौसम ने न समझा...

बहते हैं कभी मेरे आंसूं, साथी
कभी रोकना न समझा,
चाहत की हमारी दुनिया में, साथी
कभी रहना जरुरी न समझा...

डगमगाती नाव का खौफ्फ़, माझी
कभी मौजों ने न जाना,
मुरझाते फूलों का रुदन, माली
कभी खुदा ने न सुना॥

बाहें फैलाएं खड़ी है निखार, साथी
कभी उन्हें थामना समझो,
हाँ, बेपनाह मेरे प्यार को, साथी
कभी ना समझ के भी समझो....

Thursday, February 18, 2010

ग़ज़ल १


पूछ पाते हैं वो , न बोल पाता हूँ मैं
कैसे हो अब इज़हार , कितनी मजबूरी निकली...

चला था मैं ढूँढने , तुझ में कोई कमी
ये चाहत ढूँढने की , मेरी कमजोरी निकली...

देखकर तुझको बोतल भी , होश में कहाँ है
ज्यादा मांगी थी शराब , थोड़ी थोड़ी निकली...

धड़कने चल रही है , जवाब की उम्मीद में
रुक न जाए इसलिए , निगाह जरूरी निकली...

Thursday, February 11, 2010

ऐ दिल...



ऐ दिल...

ऐ दिल! चलो एक बार फिर मचल जाएँ,
इश्क के प्याले फिर गटक जाएँ!!
आज एक बार फिर बहक जाएँ,
चलो एक बार फिर महक जाएँ!!

आज की रात में ये कसक क्यूँ है??
रात रानी सी ये महक क्यूँ है??
ख्वाब हम भी बुनते हैं पर ख़्वाबों में जीते नहीं,
फिर आज इन आँखों में ये कशिश क्यूँ है?
कहो दिल क्या एक बार फिर मचल जाएँ??
क्या एक बार फिर बहक जाएँ!!

उनकी जुल्फों की छाँव में खो जाना है,
प्यार के गीत फिर गुनगुनाना है!
आज फिर दिल ने ये तमन्ना की है..
जाम पीना है तो बस उनके हुस्न का ही पीना है!!
तो चलो दिल! एक बार फिर बहक जाएँ,
इश्क के प्याले फिर गटक जाएँ!!

रात चाहे ये कितनी ही काली क्यूँ न हो!
इन बादलों को चीर कर ही क्यूँ न चाँद को आना हो!
ग़ालिब की नज्मों का जादू अभी जिंदा है,
फिर इन कोरी निगाहों में कभी तो उन्हें भी आना है,
हाँ दिल! आज नहीं तो कल, उन्हें आना है...

तो फिर चलो एक बार फिर बहक जाएँ..
चलो एक बार फिर महक जाएँ..!!


Wednesday, February 10, 2010

एक परिचय..


तोह निखर! आखिरकार हम भी ब्लॉग्गिंग की दुनिया में आ ही गए... :)

और इसका पूरा श्रेया जाता है निखर को जो खुद एक उम्दा कवियित्री हैं और मेरे कुछ प्यारे साथियों  को जिन्होंने मेरी कवितायेँ पढ़ीं, उन्हें सराहा और मुझे प्रेरणा दी की अपनी रचनाओं को एक सुगठित रूप में पेश करूँ! आशा है की हमारा ये सफ़र जब तक चलेगा खुश्नुवार चलेगा! और हमारे कारवां में नए दोस्त जुड़ते चले जायेंगे!


और हाँ, दोस्तों! मैं ब्लॉग हिंदी में लिख रहा हूँ क्यूंकि मेरी कवितायेँ ही एक मात्र साधन है जिनसे मेरा हिंदी के साथ रिश्ता आज भी बना हुआ है अन्यथा मैं तो लगातार हिंदी से दूर चला जा रहा था! पर मेरा भाषा पे कोई बंधन नहीं है! अंग्रेजी से मेरी कोई दुश्मनी भी नहीं है! :) वक़्त मिला और मन किया तो ज़रूर लिखूंगा अंग्रेजी में! इसी तरह, मैं कविताओं के दायरे में भी नहीं बंधना चाहूँगा! ये और बात है कि अब तक सिर्फ कवितायें लिखने में ही रूचि ली! उम्मीद है आगे कविताओं के साथ अन्य रचनायें भी लिखूंगा और आपके साथ उन्हें बांटता रहूँगा! तो हम हर भाषा में कविताओं और अन्य रचनाओं का स्वागत करेंगे!

हमारा ये ब्लॉग एक ओपन फोरम है! और यहाँ अगर आप चाहें तो अपनी कवितायें, लेख इत्यादि आ के पोस्ट भी कर सकते हैं! सच पूछिए तो हममें  से ज्यादातर दोस्त सिर्फ आलस कि वजह से कुछ लिखना नहीं चाहते! हमारा यह ब्लॉग शुरू करने का उद्देश्य भी यही है कि हम दोस्त लोग एक जगह मिलें और अपनी रचनाओं को बांटें!


कविताओं का मुझे विशेष शौक है.. सो आपकी रचनाओं का भी रसपान करना चाहूँगा! :) आपको भी यही कहूँगा कि कवितायें लिखिए तो हमें ज़रूर बताइए!  वैसे भी मेरे एक अज़ीज़ दोस्त, मियाँ ग़ालिब भाई "सरसवाले" ने बहुत खूब कहा कि आजकल कवितायें लिखने वाले ज्यादा और पढने वाले कम बचे हैं! तो आशा है ये एक बढ़िया शुरुआत रहेगी! कवितायें लिखनेवाले भी बढ़ेंगे और पढने वाले भी..चार पंक्तियों के साथ आपसे विदा लेना चाहूँगा!

हर शुरुआत में एक नयी उर्जा होती है,
हर उर्जा में एक नयी तपिश होती है,
चले हैं कारवां लिए एक असीम यात्रा पर,
देखते हैं "मुसाफिर" को मंजिल कहाँ मिलती है!!