Wednesday, February 10, 2010

एक परिचय..


तोह निखर! आखिरकार हम भी ब्लॉग्गिंग की दुनिया में आ ही गए... :)

और इसका पूरा श्रेया जाता है निखर को जो खुद एक उम्दा कवियित्री हैं और मेरे कुछ प्यारे साथियों  को जिन्होंने मेरी कवितायेँ पढ़ीं, उन्हें सराहा और मुझे प्रेरणा दी की अपनी रचनाओं को एक सुगठित रूप में पेश करूँ! आशा है की हमारा ये सफ़र जब तक चलेगा खुश्नुवार चलेगा! और हमारे कारवां में नए दोस्त जुड़ते चले जायेंगे!


और हाँ, दोस्तों! मैं ब्लॉग हिंदी में लिख रहा हूँ क्यूंकि मेरी कवितायेँ ही एक मात्र साधन है जिनसे मेरा हिंदी के साथ रिश्ता आज भी बना हुआ है अन्यथा मैं तो लगातार हिंदी से दूर चला जा रहा था! पर मेरा भाषा पे कोई बंधन नहीं है! अंग्रेजी से मेरी कोई दुश्मनी भी नहीं है! :) वक़्त मिला और मन किया तो ज़रूर लिखूंगा अंग्रेजी में! इसी तरह, मैं कविताओं के दायरे में भी नहीं बंधना चाहूँगा! ये और बात है कि अब तक सिर्फ कवितायें लिखने में ही रूचि ली! उम्मीद है आगे कविताओं के साथ अन्य रचनायें भी लिखूंगा और आपके साथ उन्हें बांटता रहूँगा! तो हम हर भाषा में कविताओं और अन्य रचनाओं का स्वागत करेंगे!

हमारा ये ब्लॉग एक ओपन फोरम है! और यहाँ अगर आप चाहें तो अपनी कवितायें, लेख इत्यादि आ के पोस्ट भी कर सकते हैं! सच पूछिए तो हममें  से ज्यादातर दोस्त सिर्फ आलस कि वजह से कुछ लिखना नहीं चाहते! हमारा यह ब्लॉग शुरू करने का उद्देश्य भी यही है कि हम दोस्त लोग एक जगह मिलें और अपनी रचनाओं को बांटें!


कविताओं का मुझे विशेष शौक है.. सो आपकी रचनाओं का भी रसपान करना चाहूँगा! :) आपको भी यही कहूँगा कि कवितायें लिखिए तो हमें ज़रूर बताइए!  वैसे भी मेरे एक अज़ीज़ दोस्त, मियाँ ग़ालिब भाई "सरसवाले" ने बहुत खूब कहा कि आजकल कवितायें लिखने वाले ज्यादा और पढने वाले कम बचे हैं! तो आशा है ये एक बढ़िया शुरुआत रहेगी! कवितायें लिखनेवाले भी बढ़ेंगे और पढने वाले भी..चार पंक्तियों के साथ आपसे विदा लेना चाहूँगा!

हर शुरुआत में एक नयी उर्जा होती है,
हर उर्जा में एक नयी तपिश होती है,
चले हैं कारवां लिए एक असीम यात्रा पर,
देखते हैं "मुसाफिर" को मंजिल कहाँ मिलती है!! 

7 comments:

  1. Aapka ye upkaram kaabil-e-taarif hai. Vishwaas rakhte hain ki aapki kavitaayein logon ko jaroor pasand aayengi. Aapki 4 panktiyon ko padhkar bas itna hi kehna chahunga --

    Jaata kahan hai ae musafir, tere manzil hai kidhar..
    Intezaar karenge log bechain, teri rachnaon ka idhar..

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  2. @santosh: thanx man... :)
    @galib bhai "saraswaale": zarooor dost...koshish karunga frequently likhne ka :) n ur couplet is awesome man...as usual :) shukriya dost.

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  3. lage raho, kisi ne kaviyon ki shaan me bahut umda baat kahi hai

    Kavita kya hai poocho in fankaron se
    Lohe ka kaleja chirte hain syahi ki dharon se

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  4. @Saurabh Sharma: bahut khooob bhaijaan.. :)
    @ritesh: zarooor miyaaan.. jald hi post karta hun kuch tumhare mann laayak :D

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  5. ऐ पथिक तू चलता जा, क्या हुआ अगर रास्ते अनजान है
    आते पत्थरो को चीरता जा क्योंकि वोह बेजान है
    बस जरुरत है उस मस्ती की चाल में...
    जो रास्ते खुद बना दे आंधी तूफ़ान में....

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